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साल का बजट खास , सरकार का इस कार्य काल का यह चुनावी बजट है ,कैसा होगा मोदी सरकार का बजट

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साल 2024 शुरू हो चुका है. यह साल भारत के लिए खास होने वाला है, क्योंकि इस साल लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार का दूसरा कार्यकाल कुछ महीने में समाप्त होने वाला है. हर बार नया साल शुरू होते ही बजट की सुगबुगाहट भी शुरू हो जाती है. साल के दूसरे महीने की पहली तारीख को यानी 1 फरवरी को आम बजट पेश होता है. चूंकि यह चुनावी साल है, इस बार का बजट भी खास रहने वाला है.

 

 

जोखा. हर फरवरी में पेश होने वाला बजट अगले वित्त वर्ष के लिए आर्थिक रूप से सरकार की दिशा-दशा तय करता है. इस कारण बजट को आम बजट भी कहा जाता है. वित्त वर्ष की शुरुआत हर साल अप्रैल से होती है. इस बार वित्त वर्ष शुरू होते-होते लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां उफान पर होंगी. चुनाव के बाद नई सरकार का गठन होगा, जो अगले 5 साल तक देश की सत्ता संभालेगी. नई सरकार में सत्ता बदलने की गुंजाइश होती है. अगर नई सरकार आती है तो नीतियां भी नई हो जाती हैं. इस कारण चुनावी साल में दो बार बजट पेश होता है. पहली बार फरवरी में निवर्तमान सरकार अंतरिम बजट पेश करती है और चुनाव के बाद सत्ता में आने वाली सरकार पूर्ण बजट पेश करती है.

 

 

सबसे पहले यह समझ लेते हैं कि अंतरिम बजट की जरूरत क्यों होती है... जैसा ऊपर बताया गया कि आम बजट एक वित्त वर्ष के लिए होता है. आखिरी बार आम बजट फरवरी 2023 में पेश हुआ था, जो वित्त वर्ष 2023-24 के लिए है. मार्च में यह वित्त वर्ष समाप्त हो जाएगा. उसके बाद अप्रैल में नया वित्त वर्ष शुरू हो जाएगा. चुनाव की तारीखें अभी तय नहीं हुई हैं, लेकिन यह तो लगभग तय ही है कि नई सरकार का गठन होने में मार्च के बाद कुछ महीने लगेंगे ही. ऐसे में ट्रांजिशन के दौरान यानी निवर्तमान सरकार की जगह नई सरकार का गठन होने तक के अंतराल में देश की व्यवस्था किस तरह से चलेगी, कर्मचारियों की सैलरी के लिए फंड कहां से आएगा, चल रही परियोजनाओं के लिए पैसे कैसे आएंगे...इन समस्याओं को दूर करने के लिए अंतरिम बजट पेश किया जाता है.

 

 

बजट की दो बुनियाद होती है- आय और व्यय. यानी सरकार को कमाई कैसे होगी और खर्च कैसे करना है. आय के मोर्चे पर खास अंतर नहीं पड़ता है. सरकार की कमाई के दो प्रमुख स्रोत हैं- प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर. मतलब आय के जरिए नियत ही रहते हैं, बशर्ते कि टैक्सेशन से जुड़े नियमों में कुछ बदलाव नहीं हो. व्यय के मोर्चे पर सरकार को विभिन्न मदों में फंड आवंटित करना होता है और यह काम होता है बजट में. इस कारण अंतरिम बजट में सरकार नए वित्त वर्ष की पहली तिमाही के खर्च का बंदोबस्त कर देती है.

 

 

अंतरिम बजट में व्यय का जो प्रावधान किया जाता है, उसे वोट ऑन अकाउंट कहते हैं. कई बार अंतरिम बजट और वोट ऑन अकाउंट को एक ही समझ लिया जाता है, जो सही नहीं है. आइए जानते हैं कि अंतरिम बजट और वोट ऑन अकाउंट में क्या अंतर है...

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